कैसे खत्म होगी तेरी ये दहशत, ये तो सारा गुलशन जला रही है.
कल क़त्ल किये जो मासूम तूने, उनकी माँ अब भी लोरी गा रही है.
ख़त्म करना तो तुज़े वाज़िब नहीं क्यों के तू भी तो एक इंसान है.
कहासे आयी ये नफरत तुज़मे, तेरा भी तो कोई भगवान है.
में मरने के लिए तैयार हु, बशर्त तुज़े सारी नफरत भुलानी होगी
जीतनी गोलिया है तेरे सलाह खानेमे सारी मेरे दिल मे उतारनी होगी।
कल क़त्ल किये जो मासूम तूने, उनकी माँ अब भी लोरी गा रही है.
ख़त्म करना तो तुज़े वाज़िब नहीं क्यों के तू भी तो एक इंसान है.
कहासे आयी ये नफरत तुज़मे, तेरा भी तो कोई भगवान है.
में मरने के लिए तैयार हु, बशर्त तुज़े सारी नफरत भुलानी होगी
जीतनी गोलिया है तेरे सलाह खानेमे सारी मेरे दिल मे उतारनी होगी।